विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय,
बीना, जिला- सागर मप्र
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जागरूकता शिविर
ग्राम- आगासौद
दिनांक 20 नवम्बर 2019
सही उम्र में विवाह करने से नारी के स्वास्थ्य पर नहीं पडता विपरीत प्रभावः डाॅ. निधि
बीना। ग्रामीण परिवेश में कई बार 18 वर्ष से कम उम्र की किशोरियों का विवाह कर दिया जाता है, जो कि कानूनी तौर पर गलत तो होता ही है, ऐसा करने से उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास पर भी विपरित प्रभव पडता है। यदि किशोरी बालिका स्वस्थ है तो परिवार में आने वाली भविष्य की बहुएं खुश होंगी यह मान सकते हैं। इसलिए किशोरी बालिकाओं के स्वास्थ्य का हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए वहीं बेटा और बेटी में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए। हमें महिलाओं को स्वयं के पोषण का पूरा ध्यान रखना चाहिए एवं अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य को भी पूर्ण रूप से पौष्टिक आहार देना चाहिए। हमारा प्रयास हो कि प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ रहे, खाना खाने से पहले साबुन से ठीक तरह से हाथ धोए। ताकि किसी भी प्रकार के कीटाणु हमारे पेट में ना जाएं वहीं छोटे बच्चों को भी बेहतर स्वास्थ्य के लिए छह माह तक केवल मां का दूध और बाद में दलिया, दाल और हरी सब्जियां खिलाएं।
यह बात विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय द्वारा ग्राम आगासौद के आगनबाडी क्र. 31 में दिनांक 20 नवम्बर 2019, बुधवार को आयोजित ‘मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जागरूकता अभियान‘ के दौरान आयोजित शिविर में चिकित्सालय की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डाॅ. निधि सोनी ने महिलाओं के बीच कही। शिविर में आगे डाॅ. निधि ने बताया कि यदि हम स्वस्थ और सुखी परिवार चाहते हैं, तो परिवार नियोजन का पालन करें। केवल दो बच्चे ही संतान के रूप में हों ऐसा प्रयास करें, ताकि आप उन्हे बेहतर शिक्षा एवं परवरिश दे सकें। जो प्रसूताएं हैं, वे अपनी समय समय पर जांच कराएं और पूरा पौष्टिक आहार लें। जब प्रसव नजदीक हो तो पहले से ही नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सालय पर सम्पर्क करते हुए वहां प्रसव की तैयारी पहले से कर लें। संस्थागत प्रसव को ही महत्व दें। घर पर दाई से या अन्य किसी माध्यम से प्रसव ना कराएं। ऐसे में जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा रहता है। वहीं शिुश को किसी भी प्रकार की घुट्टी या शहद आदि ना पिलाएं केवल मां का दूध ही पिलाएं। वहीं परिवार की महिलाएं प्रसव काल में प्रसूता को ज्यादा से ज्यादा आराम दें और तनाव ना दें। उसके आहार विहार का पूरा ध्यान रखें। जब तक बच्चा 5 वर्ष का नहीं हो जाता तब तक उसके पोषण और टीकाकरण का पूरा ध्यान रखें। भोजन में भरपूर आयरन लें, सर्दियों में गुड-चना, गुड- मूंगफली या सत्तू आदि का सेवन करें।वहीं एक फल और हरी सब्जियों का अवश्य सेवन करें। विटामिन सी के लिए प्रतिदिन एक नीम्बू अवश्य लें। यदि आप इतना करते हैं, तो ना सिर्फ बीमारियों से बचते हैं, बल्कि आप पूरे परिवार को स्वस्थ रहने की प्रेरणा भी देते हैं।
शिविर में डाॅ. निधि ने वहां उपस्थित महिलाओं और बालिकाओं को 6 स्टेप में हाथ धोने की विधि का प्रशिक्षण भी दिया और अन्त में महिलाओं ने अनेक प्रकार के स्वास्थ्य संबधी प्रश्न भी किए जिनका डाॅ. सोनी ने जवाब देकर उन्हे संतुष्ट भी किया। शिविर के आयोजन में आगासौद गांव की आंगनबाडी केन्द्र की आंगनबाडी कार्यकर्ता श्रीमती कमला विश्वकर्मा, श्रीमती शीला कुशवाह, सहायिका सविता, एवं आशा कार्यकर्ता सुनीता कुशवाह के अलावा विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय के गिरीश कुमार पाल, वार्ड स्टाफ सदस्य श्रीमती नीतू राय आदि की सराहनीय भूमिका रही।
विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय,
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